बुनियादी साक्षरता: सीखने के लिए एक तात्कालिक आवश्यकता और पूर्वशर्त
शिक्षा निति 2020 अध्याय 2
बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान क्या है? छात्रों के जीवन के पहले 6 छः वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इन वर्षों में छात्र बहुत कुछ सीख सकते हैं तथा भाषाओं और संख्यायों का ज्ञान इस उम्र में प्राप्त करने से जीवनपर्यंत काम आता है। नई शिक्षानीति 2020 में बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान तथा भाषा शिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस संदर्भ में उक्त बिंदु प्रस्तुत है जिन्हें पढ़कर आप बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान के परिपेक्ष्य में जान सकते हैं।
2.1 सभी विद्यालयों के छात्रों द्वारा पढ़ने और लिखने और संख्याओं के साथ कुछ बुनियादी संक्रियाएं करने की क्षमता आगे की स्कूली शिक्षा में और जीवन-भर सीखते रहने की बुनियाद रखती है और भविष्य में सीखने की एक पूर्वशर्त भी है। हालांकि, विभिन्न सरकारी, साथ ही गैर-सरकारी सर्वेक्षणों से यह संकेत मिलता है कि हम वर्तमान में सीखने की एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय में बड़ी संख्या में शिक्षार्थियों ने जिसकी अनुमानित संख्या 5 करोड़ से भी अधिक है- बुनियादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान भी नहीं सीखा है। अर्थात ऐसे बच्चों को सामान्य लेख को पढ़ने, समझने और अंकों के साथ बुनियादी जोड़ और घटाव करने की क्षमता भी नहीं है।
2.2 सभी बच्चों के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को प्राप्त करना तत्काल रूप से एक राष्ट्रीय अभियान बनेगा जिसे कई मोर्चों पर किए जाने वाले तात्कालिक उपायों और स्पष्ट लक्ष्यों के साथ अल्पावधि में प्राप्त किया जाएगा (जिसमें प्रत्येक छात्र को कक्षा-3 तक मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को आवश्यक रूप से प्राप्त करना शामिल किया गया है)। शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता 2025 तक प्राथमिक विद्यालय में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करना होगा। सीखने की बुनियादी आवश्यकताओं (अर्थात, मूलभूत स्तर पर पढ़ना, लिखना और अंकगणित) को हासिल करने पर ही हमारे विद्यार्थियों के लिए बाकी नीति प्रासंगिक होगी।
इसके लिए, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा प्राथमिक आधार पर आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता पर एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित किया जाएगा। उसके अनुसार सभी प्राथमिक और उच्चतर प्राथमिक विद्यालयों में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान के लिए राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की सरकारें, 2025 तक प्राप्त किए जा सकने वाले चरण-वार चिन्हित कार्यों और लक्ष्यों की पहचान करते हुए और उसकी प्रगति को बारीकी से जांच और निगरानी करते हुए अविलंब एक क्रियान्वयन योजना तैयार करेंगी।
2.3 सर्वप्रथम, शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द और समयबद्ध तरीके से भरा जाएगा - विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों और उन क्षेत्रों में, जहाँ शिक्षक-बच्चों का अनुपात दर ज्यादा हो या जहाँ साक्षरता की दर निम्न हो, वहाँ स्थानीय शिक्षक या स्थानीय भाषा से परिचित शिक्षकों को नियुक्त करने पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक स्कूल में शिक्षक-विद्यार्थियों का अनुपात (पीटीआर) 30:4 से कम हो और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की अधिकता वाले क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षक - विद्यार्थियों का अनुपात (पीटीआर) 25:4 से कम हो। कक्षा स्तर से नीचे के बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान सिखाने के उद्देश्य से शिक्षकों को सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) के साथ संबलित, उत्साहित और प्रशिक्षित किया जाएगा।
शिक्षा नीति में वर्णित संख्या ज्ञान
2.4 पाठ्यचर्या में बुनियादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाएगा और पूरे प्रारंभिक और माध्यमिक स्कूल पाठ्यचर्या के दौरान, एक मजबूत सतत रचनात्मक और अनुकूल मूल्यांकन प्रणाली के साथ विशेष रूप से प्रत्येक बच्चों का सीखना ट्रैक किया जाएगा और सामान्यतया पढ़ने, लिखने, बोलने, गिनने, अंकगणित और गणितीय चिंतन पर अधिक ध्यान केंद्रित होगा। विद्यार्थियों को इन क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने के लिए उन पर प्रतिदिन अतिरिक्त ध्यान दिया जाएगा और वर्ष भर विभिन्न मौकों पर इन विषयों से संबंधित गतिविधियों को लागू किया जाएगा। मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर नए सिरे से जोर देने के लिए शिक्षक शिक्षा और प्रारंभिक ग्रेड पाठ्यचर्या को नए सिरे से डिजाइन किया जाएगा।
2.5 वर्तमान समय में ईसीसीई की सभी तक पहुँच नहीं होने के कारण बच्चों का एक बड़ा हिस्सा प्रथम कक्षा में प्रवेश पाने के कुछ ही हफ्तों बाद अपने सहपाठियों से पिछड़ जाता है। इसलिए एनसीईआरटी और एससीईआरटी के द्वारा कक्षा 1 के विद्यार्थियों के लिए अल्पकालीन 3 महीने का प्ले-आधारित 'स्कूल तैयारी मॉड्यूल' बनाया जाएगा जिसमें गतिविधियाँ और वर्कबुक होगी जिनमें अक्षर, ध्वनियाँ, शब्द, रंग, आकार, संख्या आदि शामिल होंगे। इस मॉड्यूल को क्रियान्वित करने में सहपाठियों और अभिभावकों का भी योगदान लिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि हर विद्यार्थी स्कूल के लिए तैयार है।
2.6 द डिजिटल इसप्फ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग (दीक्षा) पर बुनियादी साक्षरता और संख्या-ज्ञान पर उच्चतर-गुणवत्ता वाले संसाधनों का एक राष्ट्रीय भंडार उपलब्ध कराया जाएगा। तकनीकी दखल को शिक्षकों के लिए एक मदद के रूप में पहले प्रयोगात्मक किया जाएगा और फिर लागू किया जाएगा। इसमें शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच भाषायी बाधाओं को भी दूर करने के उपाय शामिल हैं।
2.7 वर्तमान में बड़े पैमाने पर बच्चे नहीं सीख रहे हैं। यह एक बड़ा संकट है, सभी के लिए साक्षरता और संख्या-ज्ञान प्राप्त करने के इस महत्वपूर्ण मिशन में शिक्षकों का सहयोग करने के लिए सभी व्यावहारिक तरीकों का पता लगाया जाएगा। दुनिया भर के अध्ययन से पता चलता है कि जब सहपाठी एक-दूसरे से सीखते-सिखाते हैं यह काफी प्रभावी होता है। इस प्रकार, प्रशिक्षित शिक्षकों की देखरेख में और सुरक्षा पहलुओं का उचित ध्यान रखकर साथी छात्रों के लिए पियर ट्यूटरिंग को एक स्वैच्छिक और आनंदपूर्ण गतिविधि के रूप में लिया जा सकता है। स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों प्रकार के प्रशिक्षित वोलेंटियर्स के लिए इस बड़े पैमाने के अभियान में भाग लेना बहुत आसान बनाया जायगा।
यदि समुदाय का प्रत्येक साक्षर सदस्य किसी एक छात्र को पढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाए, तो इससे देश का परिदृश्य शीघ्र ही बदल जाएगा और इस मिशन को अत्यधिक प्रोत्साहित और समर्थन किया जाएगा। राज्य इस तरह के शिक्षण संकट के दौरान मूलभूत साक्षरता और संख्या-ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए इस तत्काल राष्ट्रीय मिशन में, पियर ट्यूटरिंग और वोलेंटियर्स को बढ़ावा देने के लिए नवीन मॉडल स्थापित करने पर विचार कर सकते हैं, साथ ही साथ शिक्षकों को समर्थन देने के लिए अन्य कार्यक्रम भी शुरू कर सकते हैं।
2.8 सभी भारतीय और स्थानीय भाषायों में दिलचस्प और प्रेरणादायक बाल साहित्य और सभी स्तर के विद्यार्थियों के लिए स्कूल और स्थानीय पुस्तकालयों में बड़ी मात्रा में पुस्तकें उपलब्ध करायी जाएँगी जिसके लिए आवश्यकतानुसार उच्चतर गुणवत्ता के अनुवाद (आवश्यकतानुसार तकनीकी मदद से) भी करवाए जायेंगे। देश भर में पढ़ने की संस्कृति के निर्माण के लिए सार्वजनिक और स्कूल पुस्तकालयों का विस्तार किया जाएगा। डिजिटल पुस्तकालय भी स्थापित किये जायेंगे। गांवों में स्कूल लाइब्रेरी की स्थापना से समुदाय को भी लाभ होगा जो स्कूली समय के पश्चात् उसका लाभ ले सकते हैं। बुक क्लब के सदस्य इन स्कूली/सार्वजनिक लाइब्रेरी में मिल सकते हैं जिससे पढ़ने की संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा। एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति तैयार की जाएगी और सभी स्थानों, भाषाओं, स्तरों और शैलियों में पुस्तकों की उपलब्धता, पहुँच, गुणवत्ता और पाठकों को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक पहल की जाएगी।
2.9 जब बच्चे कुपोषित या अस्वस्थ होते हैं तो वे बेहतर रूप से सीखने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य (मानसिक स्वास्थ्य सहित) पर ध्यान दिया जाएगा, पुष्टिकर भोजन और अच्छी तरह से प्रशिक्षित सामाजिक कार्यकर्ताओं, काउंसलर, और स्कूली शिक्षा प्रणाली में समुदाय की भागीदारी के साथ-साथ शिक्षा प्रणाली के अलावा विभिन्न सतत उपायों के माध्यम से कार्य किया जाएगा। सभी विद्यालय के बच्चे स्कूलों द्वारा आयोजित नियमित स्वास्थ्य जांच में भाग लेंगे और इसके लिए बच्चों को स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, कई सारे अध्ययन से यह पता चलता है कि सुबह के पौष्टिक नाश्ते के बाद के कुछ घंटों में कई सारे मुश्किल विषयों का अध्ययन अधिक प्रभावी होता है, इस उत्पादक और प्रभावी समय का लाभ उठाया जा सकता है, यदि सुबह और दोपहर में बच्चों को क्रमश: पौष्टिक नाश्ता और भोजन दिया जाए। जहाँ पके हुए गर्म भोजन की व्यवस्था करना संभव नहीं होगा, वहाँ सादा लेकिन पौष्टिक विकल्प, जैसे गुड़ के साथ मूंगफली/गुड़ मिश्रित चना और/या स्थानीय स्तर पर उपलब्ध फल उपलब्ध कराया जा सकता है। सभी स्कूली बच्चों की विशेष रूप से 100% टीकाकरण के लिए स्कूलों में नियमित स्वास्थ्य जाँच कराई जाएगी और इसकी निगरानी के लिए हेल्थ कार्ड जारी किए जाएँगे।
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