6.8.20
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सीखने के लिए सर्वोत्तम वातावरण व छात्रों को सहयोग
12.1 प्रभावी ढंग से सीखने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जिसमें उपयुक्त पाठ्यक्रम, आकर्षक शिक्षण, निरंतर रचनात्मक मूल्यांकन और छात्रों का पर्याप्त सहयोग शामिल होता है । पाठ्यक्रम रोचक और प्रासंगिक होना चाहिए जिसे समय-समय पर अद्यतन करते रहना चाहिए जिससे ज्ञान की नवीन आवश्यकताओं व सीखने के प्रतिफलों को प्राप्त किया जा सके। उच्चतर गुणवत्ता वाली शिक्षण विधा छात्रों तक पाठ्यक्रम सामग्री को सफलतापूर्वक ले जाने के लिए आवश्यक है। शिक्षण के इन तरीकों से छात्रों के सीखने के अनुभव निर्धारित होते हैं जो कि सीधे ही सीखने के प्रतिफलों पर प्रभाव डालते हैं । आकलन के तरीके वैज्ञानिक होने चाहिए जो कि सीखने में लगातार सुधार व ज्ञान के प्रयोग के परीक्षण के लिए बने होने चाहिए। अंत में कुछ ऐसी क्षमताएं जो छात्रों की बेहतरी के लिए आवश्यक हैं जैसे - फिटनेस, अच्छा स्वास्थ्य, मनो-सामाजिक कल्याण, बेहतर नैतिक मूल्यों का आधार आदि का भी विकास गुणवत्तापूर्ण ढंग से सीखने के लिए महत्वपूर्ण है ।
अत: पाठ्यक्रम, अध्यापन, निरंतर मूल्यांकन और छात्रों की मदद गुणवत्तापूर्ण ढंग से सीखने के लिए आधारशिला हैं। इन आवश्यक बिन्दुओं को सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त बुनियादी ढाँचा, संसाधन (जैसे बेहतरीन पुस्तकालय, कक्षा-कक्ष, प्रयोगशालाएँ, प्रौद्योगिकी, खेल/मनोरंजन के स्थान, छात्रों के संवाद हेतु स्थान, और भोजन के लिए स्थान) आदि प्रदान करने के साथ-साथ, इन मामलों पर कई पहल करने की आवश्यकता होगी जिससें सीखने का वातावरण आकर्षक और सहायक बनाया जा सके और सभी छात्रों को सफल होने के लिए सक्षम बनाया जा सके।
12.2 पहला, उच्चतर शिक्षा के व्यापक ढाँचे में रचनात्मकता को सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों और संकायों को पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि और आकलन आदि पर नवाचार करने की स्वायत्ता देनी होगी, जो कि सभी संस्थानों, कार्यक्रमों, सभी मुक्त दूरस्थ शिक्षा (ओडीएल), ऑनलाइन और पारम्परिक कक्षा-कक्ष शिक्षण में समान रूप से सुनिश्चित किया जाएगा। छात्रों को एक बेहतर और आकर्षक शिक्षण अनुभव देने के लिए संस्थानों और प्रेरित संकायों द्वारा इसके अनुरूप पाठ्यक्रम और शिक्षण विधा को रचा जाएगा और प्रत्येक कार्यक्रम को उसके लक्ष्यों तक पहुँचाने के लिए रचनात्मक आकलन का उपयोग किया जाएगा। उच्चतर शिक्षण संस्थानों द्वारा सभी मूल्यांकन प्रणालियां भी तय की जाएंगी, जिनमें अंतिम रूप से प्रमाणन भी शामिल है। नवाचार और लचीलापन लाने के लिए विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (सीबीसीएस) को संशोधित किया जाएगा। उच्चतर शिक्षण संस्थान एक मानदंड-आधारित ग्रेडिंग प्रणाली का निर्माण करेंगे , जो प्रत्येक कार्यक्रम के लिए सीखने के लक्ष्यों के आधार पर छात्र की उपलब्धि का आकलन करेगा, जिससे प्रणाली निष्पक्ष बनेगी और परिणाम अधिक तुलनीय होंगें। उच्चतर शिक्षण संस्थान भी हाई-स्टेक परीक्षाओं से और अधिक सतत और व्यापक मूल्यांकन की ओर बढ़ेंगे ।
12.3 दूसरा, प्रत्येक संस्थान अपनी वृहद संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) में शैक्षणिक योजनाओं को पाठ्यक्रम सुधार से लेकर कक्षा-कक्ष के गुणवत्तापूर्ण आदान-प्रदान को एकीकृत करेगा। प्रत्येक संस्थान छात्रों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध होगा, इसके लिए एक ऐसी आंतरिक प्रणाली बनाएगा जो कि विविध प्रकार के छात्र समूहों को शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्र में सहयोग करेगा। इसके लिए कक्षा के भीतर और बाहर औपचारिक अकादेमिक बातचीत को सुनिश्चित किया जायेगा। उदाहरण के लिए सभी उच्चतर शिक्षण संस्थानों में छात्रों द्वारा संकाय व अन्य विशेषज्ञों की मदद से विषय आधारित क्लब और गतिविधियों जैसे कि विज्ञान, गणित, कविता, भाषा, साहित्य, वाद-विवाद, संगीत, खेल आदि के लिए समर्पित क्लब व कार्यक्रम के आयोजन के लिए अवसर व वित्त की व्यवस्था होगी । समय के साथ - साथ जब इन गतिविधियों के लिए छात्रों की मांग व संकाय की दक्षता हासिल हो जाए तो इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। संकाय में इस स्तर का प्रशिक्षण व क्षमता होनी चाहिए कि वे न केवल शिक्षक के रूप में अपितु संरक्षक व मार्गदर्शक के रूप में छात्रों से जुड़ सकें।
12.4 तीसरा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को उच्चतर शिक्षा तक सफलतापूर्वक पहुचने के लिए विशेष प्रोत्साहन और सहायता की आवश्यकता होती है। इसके लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को उच्चतर गुणवत्ता वाले सहायता केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता होगी और इसे प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए उन्हें पर्याप्त धन और शैक्षणिक संसाधन दिए जाएंगे। सभी छात्रों के लिए व्यावसायिक अकादमिक और करियर परामर्श उपलब्ध होगा, साथ ही साथ उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए भी परामर्शदाता होंगे ।
12.5 चौथा, ओडीएल और ऑनलाइन शिक्षा, गुणवत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक प्राकृतिक मार्ग प्रदान करता है। इसकी पूरी क्षमता का लाभ लेने के लिए ओडीएल को विस्तार की दिशा में ठोस, साक्ष्य आधारित प्रयासों के माध्यम से नवीनीकृत किया जाएगा, साथ ही इसके लिए निर्धारित स्पष्ट मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। ओडीएल कार्यक्रम उच्चतम गुणवत्ता वाले इन-क्लास कार्यक्रमों के बराबर होने का लक्ष्य रखेंगे। ओडीएल के प्रणालीगत विकास, विनियमन और मान्यता के लिए मानदंड, मानक, और दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे, और ओडीएल की गुणवत्ता के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाएगी, जो कि सभी उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनुशंसित की जाएगी ।
12.6 अंत में सभी कार्यक्रमों, पाठ्यक्रम, पाठ्यचर्या, विषयों में शिक्षण विधि, इन-क्लास, ऑनलाइन, ओडीएल और छात्रों को समर्थन जैसे सभी कार्यक्रमों का लक्ष्य होगा कि वे गुणवत्ता के वैश्विक मानकों को प्राप्त कर पाएँ ।
अंतर्राष्ट्रीयकरण
12.7 उपरोक्त वर्णित विभिन्न पहलों से भारत में पढ़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या भी बढ़ेगी और यह भारत में रह रहे उन छात्रों को ऐसे और अवसर दिलाएगी जो विदेश के संस्थानों में शोध करने, क्रेडिट स्थानांतरित करने, या इसके बाहर शोध करने की इच्छा रखते हैं। और यही सब अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए भारत में भी संभव है। इंडोलॉजी, भारतीय भाषाओं, आयुष चिकित्सा पद्धति, योग, कला, संगीत, इतिहास, संस्कृति, और आधुनिक भारत जैसे विषयों में पाठ्यक्रम और कार्यक्रम, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और इससे परे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक पाठ्यक्रम, सामाजिक जुड़ाव, गुणवत्ता आधारित आवासीय सुविधाएँ, कैम्पस में सीखने के लिए सार्थक अवसर आदि को वैश्विक गुणवत्ता मानकों के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में विकसित किया जाएगा। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की अधिक संख्या को आकर्षित करने और 'देश में अंतर्राष्ट्रीयकरण ' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बढ़ावा दिया जाएगा ।
12.8 भारत को वहनीय लागत पर उच्चतर शिक्षा प्रदान करने वाले वैश्विक अध्ययन के गंतव्य के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे इसे विश्व गुरु के रूप में अपनी भूमिका को बहाल करने में मदद मिलेगी । विदेश से आने वाले छात्रों के स्वागत और समर्थन से संबंधित सभी मामलों को समन्वित करने के लिए, विदेशी छात्रों की मेजबानी करने वाले प्रत्येक उच्चतर शिक्षण संस्थान में एक अंतर्राष्ट्रीय छात्र कार्यालय स्थापित किया जाएगा। उच्चतर गुणवत्ता वाले विदेशी संस्थानों के साथ अनुसंधान / शिक्षण सहयोग और संकाय / छात्र आदान-प्रदान की सुविधा को बढ़ाया जाएगा साथ ही विदेशों के साथ प्रासंगिक पारस्परिक रूप से लाभप्रद एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे | उच्चतर प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, और इसी तरह, चुनिंदा विश्वविद्यालयों (जैसे, दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में से) को भारत में संचालित करने की अनुमति दी जाएगी । इस तरह की सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए एक वैधानिक फ्रेमवर्क विकसित किया जाएगा तथा ऐसे विश्वविद्यालयों के लिए भारत के अन्य स्वायत्त संस्थानों की तुलना में नियमों, शासन और मानदंडो के स्तर पर कुछ उदारता बरती जाएगी। इसके अलावा, भारतीय संस्थानों और वैश्विक संस्थानों के बीच अनुसंधान
सहयोग और छात्र आदान-प्रदान को विशेष प्रयासों के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा। विदेशी विश्वविद्यालयों में अर्जित किये गए क्रेडिट यहाँ मान्य होंगे, और यदि वह उस उच्चतर शिक्षण संस्थान की आवश्यकताओं के अनुसार हैं तो इन्हें डिग्री प्रदान करने के लिए भी स्वीकार किया जाएगा।
छात्र गतिविधि और भागीदारी
12.9 छात्र, शिक्षा-प्रणाली में प्रमुख हितधारक हैं। उच्चतर गुणवत्तायुक्त शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं के लिए जीवंत कैंपस आवश्यक है। इस दिशा में छात्रों को खेल, संस्कृति / कला क्लब, पर्यावरण-क्लब, गतिविधि क्लब, सामुदायिक सेवा परियोजना आदि में शामिल होने के लिए भरपूर अवसर दिए जाएंगे । प्रत्येक शिक्षा संस्थान में तनाव से जूझने और भावनात्मक तारतम्यता बनाने के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था होगी | इसके अलावा, ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को अपेक्षित सहायता प्रदान करने के लिए एक बेहतर व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसमें आवश्यकतानुसार छात्रावास की सुविधाएं बढ़ाना शामिल है। सभी उच्चतर शिक्षण संस्थान अपने संस्थानों में सभी छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करेंगे।
छात्रों के लिए वित्तीय सहायता
12.10 छात्रों को विभिन्न उपायों के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अन्य छात्रों की योग्यता को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाएगा। इन छात्रों की प्रगति को बढ़ाने, प्रोत्साहित करने और ट्रैक करने के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा। निजी उच्चतर शिक्षण संस्थानों को अपने छात्रों को महत्वपूर्ण संख्या में फ्रीशिप और छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ।
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