-->
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 5 NFHS report

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 12 दिसंबर को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) जारी किया है। 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) 2020

2019-20 के इस सर्वेक्षण में पहले चरण के तहत 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में जनसंख्या, प्रजनन और बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण और अन्य प्रमुख संकेतकोंके आधार पर जुटाई गई जानकारी को शामिल किया गया है। सर्वेक्षण के पहले चरण के तहत जिन 22 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के परिणाम जारी किए गए हैं उनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार,गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक,केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम,नगालैंड,सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेलीदमन और दीव, जम्मू एवं कश्मीर,लद्दाख तथा लक्षद्वीप शामिल हैं। 

दूसरे चरण के तहत शेष 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रवार सर्वेक्षण का कार्य प्रगति पर है। कई चरणों में कराए जा रहे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और अन्य उभरते मुद्दों पर विश्वसनीय और तुलनात्मक डेटाबेस प्रदान करना है। NHFS के (1992-93, 1998–99, 2005–06 और 2015-16) के चार दौर देश में सफलतापूर्वक हो चुके हैं। एनएफएचएस के इन सर्वेक्षणों को मुंबई स्थित (इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज) ने राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में संचालित किया है। 

इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय स्वयं जिला स्तरीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण (डीएलएचएस) और वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एएचएस) कराता था। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर लगातार समय पर सही डेटा उपलब्ध कराने की आवश्यकताओं को ध्यान में रख्ते हुए 2015-16 से अलग-अलग सर्वेक्षणों के बदले में तीन वर्षों का एकीकृत सर्वेक्षण एक साथ कराने का फैसला किया था। वर्तमान एनएफएचएस में नमूनों के रूप में 6.1 लाख घरों को शामिल किया गया है ताकि जिला स्तर तक अलग-अलग डेटा उपलब्ध कराया जा सके और पूरा होने पर सूचना की किसी तरह की कमी के बगैर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के साथ इसकी तुलना की जा सके।

सर्वेक्षण में राज्यों से संबधित तथ्यपत्र में 131 संकेतकों के आधार पर जानकारी दी गई है। National Family Health Survey के कई संकेतक 2015-16 के NHFS-4 के समान हैं, जो समय के अनुसार आगे परस्पर तुलना करने के लिए निर्धारित किए गए थे। हालांकि, NHFS-5 में कई ऐसे नए क्षेत्रों जैसे बाल टीकाकरण का विस्तार, बच्चों के लिए पोषक तत्व, मासिक धर्म स्वच्छता, शराब और तंबाकू के इस्तेमाल की आवृत्ति, गैर-संचारी रोग (एनसीडी) और 15 साल और उससे अधिक आयु के सभी लोगों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह को मापने के लिए, मौजूदा कार्यक्रमों को मजबूत करने और नीतिगत उपाय के लिए नई रणनीतियों को विकसित करने पर जोर दिया गया है।

दूसरे चरण का काम है जारी

सर्वेक्षण का दूसरा चरण 14 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में जनवरी 2020 में शुरू किया गया था। कोविड के कारण राष्ट्रीय लॉकडाउन (मार्च, 2020 के अंत में) के समय, इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 38 प्रतिशत सर्वेक्षण का काम पूरा हो गया था। लॉकडाउन में ढील के साथ, इन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में नवंबर, 2020 से सर्वेक्षण का काम फिर से शुरू हो गया है। कोविड-19 की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, दूसरे चरण में/राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षण का काम फिर से शुरू करने के लिए सर्वेक्षण प्रोटोकॉल में आवश्यक संशोधन और सुरक्षात्मक उपायों के संदर्भ में बहुत सारी योजना और तैयारियां की गई हैं। फरवरी/मार्च, 2021 तक सर्वेक्षण का काम खत्म होने की उम्मीद है और दूसरे चरण के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रमुख संकेतक मई, 2021 के आस-पास उपलब्ध होंगे।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस-5 के मुख्य बिंदु

NHFS-5 के तहत पहले चरण में जिन राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों का सर्वे किया गया उनमें करीब-करीब सभी में NHFS-4 के बाद से कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में कमी आई है। कुल 22 राज्यों में से 19 में प्रजनन दर घटकर (2.1) पर आ गई है। केवल तीन राज्यों मणिपुर (2.2), मेघालय (2.9) और बिहार (3.0) में यह दर अभी भी निर्धारित प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर है। गर्भनिरोधक उपायकी दर (सीपीआर) भी ज्यादातर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में काफी बढ़ी है और यह हिमाचल प्रदेशऔर पश्चिम बंगाल में (74%) के साथ सबसे अधिक है। लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भनिरोधक के आधुनिक तरीकों का उपयोग भी बढ़ा है।

परिवार नियोजन के लिए जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो सकने के मामले सर्वेक्षण के पहले चरण में शामिल किए गए ज्यादातर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में घटे हैं। देश में मेघालय और मिजोरम को छोड़कर शेष सभी राज्यों में यह दस प्रतिशत से भी नीचे आ गया है। 12-23 महीने की आयु के बच्चों के बीच पूर्ण टीकाकरण अभियान के मामले में राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के जिलों में पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया। नगालैंड, मेघालय और असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दो-तिहाई से अधिक बच्चों का टीकाकरण कर उन्हें रोगों से बचाया है। लगभग तीन-चौथाई जिलों में, 12-23 महीने की आयु के 70 प्रतिशत या उससे अधिक बच्चों कोबचपन की बीमारियों से बचाया गया है। 

National Family Health Survey-5 Report

National Family Health Survey-4 और National Family Health Survey-5 के डेटा की तुलना करें तो पूर्ण टीकाकरण के मामले में कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की स्थिति बेहतर हुई है। चार वर्ष की अल्प अवधि में 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से 11 में, टीकारण की वृद्धि दर 10 प्रतिशत से अधिक और अन्य 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5 से 9 प्रतिशत के बीच रही है। इसे 2015 से सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन इन्द्रधनुष का बेहतर परिणाम कहा जा सकता है। कई राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में स्वास्थ्य प्रदाताओं द्वारा अनुशंसित चार या अधिक प्रसव पूर्व जांच की सुविधाएं प्राप्त करने वाली महिलाओं के प्रतिशत में वृद्धि हुई है। 

2015-16 से 2019-20 के बीच 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में यह प्रतिशत बढ़ा है। 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थानों में प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है। संस्थागत प्रसव कुल 22 में से 14 और संघ राज्य क्षेत्रों में 90 प्रतिशत से अधिक है। लगभग 91% जिलों ने सर्वेक्षण से पहले 5 वर्षों में 70% से अधिक संस्थागत प्रसव दर्ज किए। संस्थागत प्रसव में वृद्धि के साथ, कई राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में सी-सेक्शन डिलीवरी में भी विशेष रूप से निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त वृद्धि हुई है। अधिकांश राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में जन्म के समय लिंगानुपात अपरिवर्तित या बढ़ा हुआ है। 

अधिकांश राज्यों में सामान्य लिंगानुपात 952 या उससे अधिक है। तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, गोवा, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में यह 900 से नीचे है। सर्वेक्षण नतीजों में बाल पोषण संकेतक पूरे राज्यों में मिश्रित पैटर्न दिखाते हैं। कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थिति में सुधार हुआ है, दूसरों में मामूली गिरावट आई है। हालांकि आगे कम अवधि में शारीरिक विकास अवरुद्धता के मामलों में बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का निष्कर्ष

महिलाओं और बच्चों में खून की कमी चिंता का कारण बना हुआ है। 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से 13 में आधे से ज्यादा बच्चे और महिलाएं रक्तअल्पता से ग्रसित हैं। यह भी देखा गया है कि 180 दिनों या उससे अधिक समय के लिए गर्भवती महिलाओं द्वारा पर्याप्त मात्रा में आईएफए की गोलियां लिए जाने के बावजूद उनमें रक्तअल्पता के मामले एनएफएचएस-4 की तुलना में आधे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में बढ़े हैं।

सर्वेक्षण में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में महिलाओं और पुरुषों दोनों के मामलों में उच्च या बहुत अधिक यादृच्छिक रक्त शर्करा के स्तर में बहुत भिन्नता है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में उच्च या बहुत अधिक रक्त शर्करा होने की संभावना जताई गई है। उच्च या बहुत अधिक रक्त शर्करा वाले पुरुषों का प्रतिशत केरल (27%) में सबसे अधिक है, इसके बाद गोवा (24%) के साथ दूसरे स्थान पर है। पुरुषों में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के मामले महिलाओं की तुलना में कुछ अधिक पाए गए हैं।

पिछले चार वर्षों में (2015-16 से 2019-20 तक) लगभग सभी 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में बेहतर स्वच्छता सुविधा और खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन इस्तेमाल करने वाले परिवारों का प्रतिशत बढ़ा है। भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से अधिकतम घरों में शौचालय की सुविधा प्रदान करने के लिए ठोस प्रयास किए हैं, और देश में प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से घरेलू माहौल में सुधार किया है। उदाहरण के लिए पिछले 4 वर्षों के दौरान सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में खाना पकाने के ईंधन का उपयोग 10 प्रतिशत बढ़ा है। कर्नाटक और तेलंगाना राज्य में इसमें 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।

महिला सशक्तिकरण संकेतक चरण 1 में शामिल सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में काफी सुधार दर्शाते हैं। महिलाओं के ऑपरेटिंग बैंक खातों के संबंध में एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 के बीच उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है। मिसाल के तौर परबिहार के मामले में यह वृद्धि 50 प्रतिशत यानी कि 26 प्रतिशत से बढ़कर 77 प्रतिशत हो गई। पहले चरण में हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 60 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के पासपरिचालित (ऑपरेशनल) बैंक खाते हैं।

Related Posts

0 Response to "राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 5 NFHS report"

Post a Comment

Please leave your valuable comments here.

Iklan Bawah Artikel